तेषां सततयुक्तानां भजतां gita best shlokas
भक्तोंके अहमका नाश भगवान् स्वयं करते हैं-
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् ।
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् ।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ॥
तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः |
नाशयाग्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता ॥
(गीता १०।१०-११)
'उन नित्य-निरन्तर मेरेमें लगे हुए और प्रेमपूर्वक मेरा भजन करनेवाले भक्तोंको में वह बुद्धियोग देता हूँ, जिससे उनको मेरी प्राप्ति हो जाती है।' ‘उन भक्तोंपर कृपा करनेके लिये ही उनके स्वरूप में रहनेवाला मैं उनके अज्ञानजन्य अन्धकारको देदीप्यमान ज्ञानरूप दीपकके द्वारा सर्वथा नष्ट कर देता हूँ।'
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