सर्वेन्द्रियगुणाभास - bhagavad gita in hindi shlok

 सर्वेन्द्रियगुणाभास - bhagavad gita in hindi shlok

एकताका प्रतिपादन करते हुए ही गीता कहती है—

सर्वेन्द्रियगुणाभा सर्वेन्द्रियविवर्जितम् । 
असक्तं सर्वभृचैव निर्गुणं गुणभोक्तृ च ॥
(१३ । १४)
'सम्पूर्ण इन्द्रियोंसे रहित होते हुए भी वे सम्पूर्ण इन्द्रियोंका कार्य करते हैं और आसक्तिरहित होते हुए भी सबका धारण-पोषण करते हैं। सर्वथा निर्गुण होते हुए भी सम्पूर्ण गुणोंके भोक्ता हैं।'

सर्वेन्द्रियगुणाभास - bhagavad gita in hindi shlok

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close