बहिरन्तश्च भूतानामचरं - bhagavad gita in hindi shlok

 बहिरन्तश्च भूतानामचरं - bhagavad gita in hindi shlok


बहिरन्तश्च भूतानामचरं चरमेव च । 
सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयं दूरस्थं चान्तिके च तत् ॥
(गीता १३ | १५ )
वे सब प्राणियोंके बाहर भीतर हैं और चर-अचर प्राणिमात्र भी वे ही हैं। अत्यन्त सूक्ष्म होनेसे वे अविज्ञेय हैं; | क्योंकि वे 'अणोरणीयान्' -अणुसे भी अणु हैं। जाननेमें आनेवाले जड पदार्थोंकी अपेक्षा उनका ज्ञान सूक्ष्म है और ज्ञानकी अपेक्षा ज्ञाता अत्यधिक सूक्ष्म है। फिर वह जाननेमें कैसे आ सकता है ? 

बहिरन्तश्च भूतानामचरं - bhagavad gita in hindi shlok

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close