उदासीनवदासीनो गुणैयों bhagavad gita in hindi shlok
उदासीनवदासीनो गुणैयों न विचाल्यते ।
गुणा वर्तन्त इत्येव योऽवतिष्ठति नेङ्गत्ते ॥
(गीता १४ । २३)
वह विचलित होता ही नहीं है। मानो ज्यों-का-त्यों रहता है यह अर्थ हुआ इसका। भय और आशा ये दोनों छोड़ो। भय और आशामें संसार मात्र बँधा है। किसी प्रकारका न तो भय हो और न किसी प्रकारकी आशा हो ।
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