ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि bhagavad gita in hindi shlok
गीतामें आया है -
ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वामृतमश्नुते ।अनादिमत्परं ब्रह्म न सत्तन्नासदुच्यते ॥(१३ | १२)
'जो ज्ञेय है, उस तत्त्वका मैं अच्छी तरहसे वर्णन करूँगा, जिसको जानकर मनुष्य अमरताका अनुभव कर लेता है। वह तत्त्व अनादि और परब्रहा है। उसको न सत् कहा जा सकता है और न असत् कहा जा सकता है।
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