संस्कृत श्लोक sanskrit best shlok

 संस्कृत श्लोक sanskrit best shlok

उत्तमा सहजावस्था मध्यमा ध्यानधारणा |
कनिष्ठा शास्त्रचिन्ता च तीर्थयात्राऽधमाऽधमा । 

छोटा-से-छोटा साधन तीर्थयात्रा है। उससे ऊँचा शास्त्रचिन्तन है। शास्त्रचिन्तनसे ऊँची ध्यान-धारणा है; और ऊँची-से-ऊँची सहजावस्था (सहज समाधि) है, सहजावस्थामें आप पहुँच जायँगे !

सहजावस्था न जाग्रत् है, न स्वप्न है, न सुषुप्ति है, न मूर्च्छा है और न समाधि है। सुषुप्ति और सहजावस्थामें फर्क यही है कि सुषुप्तिमें तो बेहोशी रहती है, पर सहजावस्था में बेहोशी नहीं रहती, प्रत्युत होश रहता है, जागृति रहती है, ज्ञानकी एक दीप्ति रहती है- 
आत्मसंयमयोगानौ जुह्वति ज्ञानदीपिते ।
(गीता ४ । २७)
वास्तवमें चुप होना नहीं है, प्रत्युत चुप तो स्वाभाविक है। जिनके वेदान्तके संस्कार हैं, वे समझ जायँगे कि आत्मा न कर्ता है, न भोक्ता है। अतः सहजावस्था स्वाभाविक है। 

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