ये हि संस्पर्शजा भोगा bhagavad gita in hindi shlok

 ये हि संस्पर्शजा भोगा bhagavad gita in hindi shlok

ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि / bhagavad gita shloka

ये हि संस्पर्शजा भोगा दुःखयोनय एव ते । 
आद्यन्तवन्तः कौन्तेय न तेषु रमते बुधः ॥
(गीता ५ | २२)

सम्बन्धजन्य जो सुख हैं, वे दुःखोंके ही कारण हैं और आदि-अन्तवाले हैं, इसलिये विवेकी पुरुष उनमें रमण नहीं करता। जो उनमें रमण नहीं करता, उसका कल्याण हो जाता है।

ये हि संस्पर्शजा भोगा bhagavad gita in hindi shlok

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close