ये हि संस्पर्शजा भोगा bhagavad gita in hindi shlok
ये हि संस्पर्शजा भोगा दुःखयोनय एव ते ।
आद्यन्तवन्तः कौन्तेय न तेषु रमते बुधः ॥
(गीता ५ | २२)
सम्बन्धजन्य जो सुख हैं, वे दुःखोंके ही कारण हैं और आदि-अन्तवाले हैं, इसलिये विवेकी पुरुष उनमें रमण नहीं करता। जो उनमें रमण नहीं करता, उसका कल्याण हो जाता है।
ये हि संस्पर्शजा भोगा bhagavad gita in hindi shlok
एक टिप्पणी भेजें
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |