अत्यंत प्रेरणादायक कहानी / दृष्टांत कथाएं
- एक वैरागी बाबा थे। उनके पास सोनेकी बनी हुई एक गणेशजीकी और एक चूहेकी मूर्ति थी। बाबाजीको तीर्थोंमें जाना था। वे दोनों मूर्तियोंको सुनारके पास ले गये और कहा कि इनको ले लो और इनकी कीमत दे दो, जिससे तीर्थ घूम आयें।
दोनों मूर्तियोंका वजन बराबर था, इसलिये सुनारने दोनोंकी बराबर कीमत कर दी। बाबाजी। चिढ़ गये कि जितनी कीमत गणेशजीकी, उतनी ही कीमत चूहेकी – ऐसा कैसे हो सकता है! चूहा तो सवारी है और गणेशजी उसपर सवार होनेवाले हैं, उसके मालिक हैं।
सुनार बोला कि बाबाजी! हम गणेशजी और चूहेकी कीमत नहीं करते, हम तो सोनेकी कीमत करते हैं। सुनार मूर्तियोंको नहीं देखता, वह तो सोनेको देखता है। ऐसे ही परमात्मतत्त्वको चाहनेवाला साधक प्राणियोंको न देखकर उनमें रहनेवाले परमात्मतत्त्वको देखता है।
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