रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई ramayan best chaupai
प्राणिमात्र में अपरा (जड) और परा (चेतन) दोनों प्रकृतियाँ हैं। 'अहम्' अपरा प्रकृति है।' और 'जीव' परा प्रकृति है। अहम् और जीव अर्थात् जड और चेतनके सम्बन्धका ही नाम चिज्जडग्रन्थि है-
जड़ चेतनहि ग्रंथि परि गई। जदपि मृषा छूटत कठिनई ॥ (मानस ७ । ११७ १२)
जड-चेतनकी यह ग्रन्थि मिथ्या है, सत्य नहीं है, क्योंकि जड और चेतन एक-दूसरेसे सर्वथा विरुद्ध हैं। चेतन प्रकाशक है, जड प्रकाश्य है। चेतन अपरिवर्तनशील है, जड परिवर्तनशील है। चेतन कभी मिटता नहीं, जड कभी टिकता नहीं। दोनोंका स्वभाव अलग-अलग है। परन्तु अलग-अलग स्वभाव होते हुए भी दोनोंका एक-दूसरेसे वैर-विरोध नहीं है। इतना ही नहीं, चेतन जडका प्रकाशक है, सहायक है ।
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