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गौ का महत्व gau ka mahatva

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गौ का महत्व gau ka mahatva

गौ का महत्व gau ka mahatva
 गौ का महत्व
gau ka mahatva
 गौ का महत्व  gau ka mahatva
1.  भविष्य पुराण में लिखा गया है कि गोमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं का और रोमकूपों में महर्षिगण, पूँछ में अन्नत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगा, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र का वास  हैं।

2. सृष्टि के निर्माण में, जो 32 मूल तत्व, घटक के रूप में है, वे सारे के सारे गाय के शरीर में विध्यमान है| अतः गाय की परिक्रमा करना अर्थात पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करना है| गाय जो श्वास छोड़ती है, वह वायु एंटी-वाइरस है| गाय द्वारा छोड़ी गयी श्वास से सभी अदृश्य एवं हानिकारक बैक्टेरिया मर जाते है| गाय के शरीर से सतत एक दैवीय ऊर्जा निकलती रहती है जो मनुष्य शरीर के लिए बहुत लाभकारी है| गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है |

3. अमेरिका में कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक “The cow is a wonderful laboratory” के अनुसार पृथ्वी पर समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही ऐसी प्राणी है, जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच) लम्बी आंत दी है, जो अन्य किसी भी पशुओ में नहीं है |

4. गाय आधिदैविक, अधिदैहिक एवं आधिभौतिक तीनों तापों का नाश करने में सक्षम है। इसी कारण अमृततुल्य दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोमय तथा गोरोचना-जैसी अमूल्य वस्तुएं प्रदान करने वाली गाय को शास्त्रों में “सर्वसुखप्रदा” कहा गया है।

5. गाय की सींगो का आकर सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है, जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरह आकाशीय उर्जा (कोस्मिक एनर्जी) को संग्रह करने का कार्य करते है | गाय के कूबड/ककुद्द में सूर्य- केतु नाड़ी होती है, जो सूर्य के गुणों को धारण करती है। सभी नक्षत्रों की यह रिसीवर है। यही कारण है कि गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी में औषधीय गुण होते हैं।  गाय के कूबड़ में पायी जाने वाली नाड़ी, सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है।
 गौ का महत्व
gau ka mahatva

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