अहन्यहनि भूतानि• श्लोक-
अहन्यहनि भूतानि गच्छन्तीह यमालयम् ।
शेषाः स्थिरत्वमिच्छन्ति किमाश्चर्यमतः परम् ॥
अहन्यहनि भूतानि गच्छन्तीह यमालयम् ।
शेषाः स्थिरत्वमिच्छन्ति किमाश्चर्यमतः परम् ॥
( महा० वन० ३१३ । ११६)
अहन्यहनि भूतानि श्लोकार्थ-
जीव प्रतिदिन यहाँसे यमराजके घर जा रहे हैं, फिर भी जो लोग अभी शेष हैं, वे यहीं स्थिर रहना चाहते हैं। इससे बढ़कर आश्चर्य और क्या हो सकता है ।
अहन्यहनि भूतानि श्लोकार्थ-
जीव प्रतिदिन यहाँसे यमराजके घर जा रहे हैं, फिर भी जो लोग अभी शेष हैं, वे यहीं स्थिर रहना चाहते हैं। इससे बढ़कर आश्चर्य और क्या हो सकता है ।
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