बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोक-
बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोकार्थ-
बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः |श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः ||
बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोकार्थ-
जो व्यक्ति धर्म ( कर्तव्य ) से विमुख होता है वह ( व्यक्ति ) बलवान् हो कर भी असमर्थ, धनवान् हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी हो कर भी मूर्ख होता है |
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