बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोकार्थ- balvan apya shaktosau shlok sanskrit hindi arth sahit

बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोक-
बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोकार्थ- balvan apya shaktosau shlok sanskrit hindi arth sahit
बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः |
श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः ||

 बलवानप्यशक्तोऽसौ श्लोकार्थ-
जो व्यक्ति धर्म ( कर्तव्य ) से विमुख होता है वह ( व्यक्ति ) बलवान् हो कर भी असमर्थ, धनवान् हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी हो कर भी मूर्ख होता है |


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नीति श्लोक व शुभाषतानि के सुन्दर श्लोकों का संग्रह- हिंदी अर्थ सहित। }

 

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