F भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ - bhaktih sutau tau taroonau - bhagwat kathanak
भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ - bhaktih sutau tau taroonau

bhagwat katha sikhe

भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ - bhaktih sutau tau taroonau

भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ - bhaktih sutau tau taroonau

 भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ - bhaktih sutau tau taroonau

भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ गृहीत्वा  प्रेमैकरूपा सहसाविरासीत |  
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे नाथेति नामानि मुहुर्वदन्ति ||
( मा.3.67 )
भक्ति महारानी तरुण अवस्था को प्राप्त हुई अपने दोनों पुत्रों को लेकर वहां प्रकट हो गई|

इसका कीर्तन करते हुए नृत्य करने लगी रिसियों ने सब उन्हें नृत्य करते हुए देखा तो कहने लगे यह कौन है और यह कैसे प्रकट हो गई सनकादि मुनिश्वर  ने कहा रिसियों  यह अभी-अभी कथा के अर्थ से प्रगट हुई है भक्ति महारानी ने कहा मुनिश्वर कलिकाल के प्रभाव से में जीर्ण नष्ट हो गई थी आपने कथा के रस से मुझे पुनः पुष्ट  कर दिया |

भक्तिः सुतौ तौ तरूणौ - bhaktih sutau tau taroonau

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