F iti mati rup kalpita /इति मतिरुपकल्पिता - bhagwat kathanak
iti mati rup kalpita /इति मतिरुपकल्पिता

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iti mati rup kalpita /इति मतिरुपकल्पिता

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इति मतिरुपकल्पिता वितृष्णा 
             भगवति सात्वतपुगंवे विभूम्नि |
स्वसुखमुपगते क्वचिद्विहर्तुं  
              प्रकृतिमपेयुषि यद्भवप्रवाहः ||
त्रिभुवनकमनं तमाल वर्णं 
                  रविकरगौरवराम्बरं दधाने |
वपुरलककुलावृताननाब्जं
                   विजयसखे रतिरस्तुमेनवद्या ||
प्रभु त्रिलोकी में आपके सामान सुंदर कोई दूसरा नहीं है श्याम तमाल के समान सांवरे शरीर पर सूर्य की रश्मियों के समान श्रेष्ठ पीतांबर शोभायमान हो रहा है मुख पर घुंघराली अलकावलिया लटक रही हैं ऐसे श्रीकृष्ण से मैं अपनी पुत्री का विवाह करना चाहता हूं।

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