F नाहं तथाद्मि यजमानहविर्विताने /Nāhaṁ tathādmi yajamāna - bhagwat kathanak
नाहं तथाद्मि यजमानहविर्विताने /Nāhaṁ tathādmi yajamāna

bhagwat katha sikhe

नाहं तथाद्मि यजमानहविर्विताने /Nāhaṁ tathādmi yajamāna

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 नाहं तथाद्मि यजमानहविर्विताने /Nāhaṁ tathādmi yajamāna


नाहं तथाद्मि यजमानहविर्विताने 
                श्च्योतदघृतप्लुतमदन हुतभुङमुखेन |
यदब्राम्हणस्य मुखतश्चरतोनुघासं 
                 तुष्टस्य मय्यवहितैर्निजकर्मपाकैः ||

यजमानों के द्वारा बड़े-बड़े यज्ञों में दी हुई आहुति से मैं उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि घी से युक्त पदार्थों को ब्राह्मणों को खिलाने से प्रसन्न होता हूं इस प्रकार भगवान ने ब्राह्मणों की महिमा का वर्णन किया ,,,


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