सुधामयं वचो यासां - Sudhāmayaṁ vachō yāsāṁ
सुधामयं वचो यासां कामिनां रसवर्धनम् |
ह्रदयं क्षुरधराभां प्रियः के नामयोषिताम् ||
स्त्रियों की वाणी तो अमृत के समान कमियों के हृदय में रस का संचार करती है किंतु ह्रदय छूरे की धार के समान तीक्ष्ण होता है भला इन स्त्रियों का कौन प्यारा होता है। सुधामयं वचो यासां - Sudhāmayaṁ vachō yāsāṁ
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