यत्कीर्तनं यत्स्मरणं यदीक्षणम् /Yatkīrtanaṁ yatsmaraṇaṁ
यत्कीर्तनं यत्स्मरणं यदीक्षणम्
यद्वन्दनं यच्छ्रवणं यदर्हणम् |
लोकस्य सद्यो विधुनोति कल्मषं
तस्मै सुभद्रश्रवसे नमो नमः ||2,4.15
जिन भगवान श्री हरि का कीर्तन स्मरण दर्शन वंदन श्रवण और पूजन प्राणियों के कल्मष को पापों को शीघ्र ही नष्ट कर देता है,उन पवित्र कीर्ति भगवान को मैं बारंबार नमस्कार करता हूं | यत्कीर्तनं यत्स्मरणं यदीक्षणम् /Yatkīrtanaṁ yatsmaraṇaṁ
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