ये मानवाः पाप कृतस्तु सर्वदा
ye maanavaah paap krtastu sarvada
ये मानवाः पाप कृतस्तु सर्वदा सदा दुराचाररता विमार्गगाः |
क्रोधाग्निदग्धाः कुटिलाश्च कामिनः सप्ताह यज्ञेन कलौ पुनन्ति ते||
( मा.4.11 )
जो मनुष्य सदा सर्वदा पाप करते रहते हैं दुराचारी हैं कुमार्गगामी है क्रोध की अग्नि में सदा जलते रहते हैं कुटिल है कामी है ऐसे लोग भी कलयुग में भागवत के सुनने से पवित्र हो जाते हैं।
ये मानवाः पाप कृतस्तु सर्वदा
ye maanavaah paap krtastu sarvada
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