अहं हरे तव पादैकमूल- /aham hare tav padaikamul
अहं हरे तव पादैकमूल-
दासा नुदासो भवितास्मि भूयः |
मनः स्मरेता सुपतेर्गुणांस्ते
गृणीत वाक् कर्म करोतु कायः ||
( 6.11.24 )
प्रभु मुझ पर ऐसी कृपा कीजिए कि मैं आपके चरण कमलों पर आश्रित रहने वाले भक्तों का सेवक बनू मेरा मन सदा आपके ही चरणों का स्मरण करें वाणी से मै निरंतर आप के नामों का संकीर्तन करूं और मेरा शरीर सदा आपकी ही सेवा में लगा रहे ,,,,
अहं हरे तव पादैकमूल- /aham hare tav padaikamul
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