न नाकपृष्ठं न च पारमेष्ठयम् /na nakaprshtham
न नाकपृष्ठं न च पारमेष्ठयम्
न सार्वभौमं न रसाधिपत्यम् |
न योगसिद्धी रपुनर्भवं वा
समंजस त्वा विरहय्य काङ्क्षे ||
( 6.11.25 )
तथा मुझे आपको छोड़कर स्वर्ग ,ब्रह्म लोक, पृथ्वी का साम्राज्य, रसातल का राज्य ,योग की सिद्धि और मोक्ष भी नहीं चाहिए |
न नाकपृष्ठं न च पारमेष्ठयम् /na nakaprshtham
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear