अजातपक्षा इव मातरं- ajata paksha iv mataram
अजातपक्षा इव मातरं खगाः
स्तन्यं यथा वत्सतराः क्षुधार्ताः |
प्रियं प्रियेव व्युषितं विषण्णा
मनोरविन्दाक्ष दिदृक्षते त्वाम् ||
( 6.11.26 )
प्रभु जैसे पंख विहीन पक्षी दाना लेने गई हुई अपनी मां की प्रतीक्षा करता है | जैसे भूखा बछडा मां के दूध के लिए आतुर रहता है | जैसे विदेश गए हुए पति की पत्नी प्रतीक्षा करती है ठीक उसी प्रकार मेरा मन आपके दर्शनों के लिए छटपटा रहा है |
अजातपक्षा इव मातरं- ajata paksha iv mataram
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear
एक टिप्पणी भेजें
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |