अहो विधातास्तव /aho vidhatastav
अहो विधातास्तव न क्वचिद् दया
संयोज्य मैत्र्या प्रणयेन देहिनः |
तांश्चाकृतार्थान वियुनङ्क्ष्यपार्थकं
विक्रीडितं तेर्भकचेष्टितं यथा |
अहो विधाता तुम में थोड़ी भी दया नहीं तुम सौहार्द में और प्रेम में प्राणियों को आपस में जोड़ते हो और उनकी अभी इच्छाएं अभिलाषा पूर्ण भी नहीं हुई उन्हें अलग कर देते हो | तुम्हारा यह खेल बच्चों के खेल के समान व्यर्थ है,,,
अहो विधातास्तव /aho vidhatastav
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