यावदा लक्ष्यते केतुर् /Yāvadā lakṣhyatē kētur
यावदालक्ष्यतेकेतुर्यावदरेणु रथस्य च |
अनुप्रस्थापितात्मानो लेख्यानीवोपलक्षिताः |
जब तक रथ कि ध्वजा दिखाई देती रही गोपियां उस ध्वजा को देखी, जब ध्वजा दिखना बंद हुआ तो रथ से उड़ रही धूल को देखती रही ,जब वह भी दिखना बंद हुआ तो उनकी आशा टूट गई अब श्री कृष्ण लौटकर नहीं आने वाले |
यावदा लक्ष्यते केतुर् /Yāvadā lakṣhyatē kētur
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