वामबाहु कृतवाम कपोलो /vam bahu kratavam kapolo
वामबाहुकृतवामकपोलोवल्गितभ्रुरधरार्पितवेणुम्|
कोमलाङ्गुलिभिराश्रितमार्गंगोप्यईरयतियत्रमुकुन्दः|
व्योमयानवविताः सह सिद्धै र्विस्मितास्तदुपधार्य सलज्जाः |
काममार्गण समर्पित चित्ताःकश्मलं ययुरपस्मृतनीव्यः |
अरी सखी जब नट नागर प्यारे सुन्दर अपने मुख मंडल को बाएं बाह कि ओर लटकाकर भौहो को नचाते हुए अधरों पर बांसुरी लगा अपने सुकोमल अंगुलियों को उनके छिद्रो मे फिराते हुए मधुर तान छेड़ते हैं, उस समय आकाश मे विमानों में चढ़ी हुई सिद्धो की पत्नियां जब उस तान को सुनती हैं तो वो उस तान पर इतना मोहित हो जाती है कि शरीर की सुधबुध ही भूल जाती है , उनका उत्तरीय वस्त्र उतरकर पृथ्वी में गिर जाता है जब उन्हें चेतना आती है तो वो लज्जित हो जाती है |
वामबाहु कृतवाम कपोलो /vam bahu kratavam kapolo
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