F अक्षण्वतां फलमिदं /akshanvatam falmidam - bhagwat kathanak
अक्षण्वतां फलमिदं /akshanvatam falmidam

bhagwat katha sikhe

अक्षण्वतां फलमिदं /akshanvatam falmidam

अक्षण्वतां फलमिदं /akshanvatam falmidam

 अक्षण्वतां फलमिदं /akshanvatam falmidam


अक्षण्वतां फलमिदं न परं विदामः
सख्यः पशूननु विवेशयतोर्वषस्यैः
वक्त्रं वृजेश सुतयोरनुवेणु जुष्टं
यैर्वा निपीमनुरक्तकटाक्ष मोक्षम् |

एक गोपी कहती है अरी सखी आंख वालों की आंख का यही फल है कि जब श्री कृष्ण और बलराम गोचरण के लिए वन में जा रहे हो अथवा वन से लौटकर आ रहे हो उनके अधरों में मुरली और वे तिरछी चितवन से हमारी ओर निहार रहे हों |

 अक्षण्वतां फलमिदं /akshanvatam falmidam


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