असन्तुष्टा द्विजा नष्टा /Asantuṣṭā dvijā naṣṭā
असन्तुष्टा द्विजा नष्टा सन्तुष्टाश्च महीभुज:।
सा लज्जा गणिका नष्टा निर्लज्जाश्चकुलाड्गना:।।
असन्तोषी ब्राह्मण का नाश हो जाता है और बलि धन का उतना ही संग्रह करना चाहिए कि जितने आवश्यक्ता हो,,
असन्तुष्टा द्विजा नष्टा /Asantuṣṭā dvijā naṣṭā
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