बाढमुक्तं भगवत /badha muktam bhagavat
बाढमुक्तं भगवत उत्तमश्लोकस्य श्रीमच्चरणारविन्दमकरन्दरस आवेशितचेतसो भागवतपरमहंसदयितकथां किञ्चिदन्तरायविहतां स्वां शिवतमां पदवीं न प्रायेण हिन्वन्ति ||
( 5/1/5 )
परीक्षित तुम्हारा कथन सत्य है | गृहस्थ आश्रम बंधन में डालने वाला है परंतु जिसका चित्त एक बार भगवान के चरणों में लग जाता है | जिन्होंने उनके चरण कमल मकरंद रस का एक बार भी पान कर लिया | वे थोड़ी बहुत शारीरिक विघ्न बाधा उत्पन्न होने पर भी भगवान के कल्याणमय मार्ग को नहीं छोड़ते |
बाढमुक्तं भगवत /badha muktam bhagavat
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