Bhagwat Puran Most Shloka
भागवत कथा हिंदी नवम स्कंध
परीक्षित मैं तुम्हें संक्षेप में मनु वंश का वर्णन सुनाता हूं क्योंकि सैकड़ों वर्षो में भी मनु वंश का वर्णन विस्तार पूर्वक नहीं हो सकता |
स वै मन: कृष्णपदार विन्दोयो-
र्वचांसि वैकुण्ठ गुणानुवर्णने ।
करौ हरेर्मन्दिर मार्जनादिषु
श्रुतिं चकाराच्युत सत्कथोदये ।। ९/४/१८
उनका मन सदा भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों के ध्यान में लगा रहता था,वाणी से वे भगवान के नाम गुणों का कीर्तन करते ,हाथों से मंदिर की सफाई करते ,कानों से भगवान श्री हरि की मधुर कथा का पान करते----
सब कुछ भगवान को समर्पित करके ही उनका प्रसाद ग्रहण करते उनके इस भक्ति को देख भगवान श्री हरि ने अपना सुदर्शन चक्र उनकी रक्षा में नियुक्त कर दिया |
Bhagwat Puran Most Shloka
मैं अपने उन प्यारे भक्तों के अधीन हूं |
जो भक्त मेरे लिए अपनी स्त्री घर पुत्र और धन का त्याग कर दिया है | उनका त्याग में कैसे कर सकता हूं |
भक्त मेरा हृदय है और मैं भक्तों का हृदय हूं वह मेरे अलावा किसी और को नहीं जानता इसीलिए तुमने जिसका अपराध किया है उसी की शरण में जाओ |
Bhagwat Puran Most Shloka
हे सुदर्शन आप समस्त अस्त्रों को नष्ट करने वाले हैं, भगवान के अत्यंत प्रिय हो मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं आप शांत हो जाइए |
सड्गं त्यजेत मिथुनव्रतिनां मुमुक्षु:
सर्वात्मना न विसृजेद् बहिरिन्द्रियाणि ।
एकश्चरन् रहसि चित्त मनन्त ईशे
युञ्जीत तद् व्रतिषु साधुषु चेत् प्रसंग: ।। ९/६/५१
इसलिए जो मोह से हट के मोक्ष प्राप्त करना चाहता है, उन्हें कभी भी भोगी प्राणियों का संग नहीं करना चाहिए | वह अकेला ही भ्रमण करें अपने इंद्रियों को बाहर ना भटकने दे अपने चित्त को भगवान के चरणों में लगा दें और यदि संग करने की इच्छा है तो भगवान के प्रेमी भक्तों का संग करें |
माता भगवान के जो परम प्रेमी भक्त हैं उनके हृदय में अघरूपी अघासुर को मारने वाले भगवान श्री हरि निवास करते हैं | जब आपको उनके शरीर का स्पर्श होगा तो आपके संपूर्ण पाप नष्ट हो जाएंगे | इसके अलावा आपके वेग को भगवान शंकर धारण करेंगे |
Bhagwat Puran Most Shloka
मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति ||
को नु लोके मनुष्येन्द्र पितुरात्मकृतः पुमान् |प्रतिकर्तुं क्षमो यस्य प्रसादाद् विन्दते परम् ||
पिता जी, पिता की ही कृपा से पुत्र के शरीर की प्राप्ति होती है, ऐसी अवस्था में पिता के उपकार का बदला कौन चुका सकता है | उत्तम पुत्र तो वह है जो पिता के मन की बात समझ कर उनके बिना कहे ही कर दे | जो कहने पर करें वह मध्यम पुत्र है और जो कहने पर भी ना करें वह अधम पुत्र है |Bhagwat Puran Most Shloka
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear