jayati te dhikam janmana /जयति तेऽधिकं जन्मना
jayati te dhikam janmana /जयति तेऽधिकं जन्मना
हे प्यारे श्याम सुंदर जबसे आपका जन्म इस व्रज में हुआ इससे इसकी महिमा बैकुंठ से भी अधिक हो गई है तभी तो बैकुंठ की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी अपना निवास स्थान छोड़कर नित्य यहां सेवा में लगी रहती हैं , प्रभु आपको हमें जो सजा देनी है वह दे दीजिए हम आपकी बिन मोल की दासी है।
यदि आपको हमें मारना ही था तो यमुना के विषैले जल और इंद्र की मूलाधार वर्षा से आपने हमारी रक्षा क्यों कि ? प्रभो आप मात्र यशोदानंदन ही नहीं अपितु समस्त प्राणियों के हृदय में विराजमान अंतर्यामी परमेश्वर हैं , ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर आप विश्व की रक्षा के लिए यदुकुल मे अवतीर्ण हुये आप की कथा अमृत के समान है , अथवा आप की कथा मारने वाली है एक बार भी जो इसे सुन लेता है वह बिच्छूकों के भांति भटकता रहता है |
प्रभु आपके चरण अत्यंत सुकोमल हैं इन्हें हम अपने कठोर वक्षस्थल पर रखने से भी डरती हैं आप इन्हें चरण कमलों से भटकते रहे , आपके चरणो में कंकड़ पत्थर आदि चुभ रहे होंगे जिसकी कल्पना मात्र से हमें चक्कर आ रहा है प्रभु हमारा जीवन आपके लिए है हम आपके हैं श्री कृष्ण के दर्शन की लालसा से गोपियों ने एक साथ रुदन किया--
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