दृढं पण्डित मान्यज्ञ: /Dr̥ḍaṁ paṇḍit mānagyah
दृढं पण्डित मान्यज्ञ:स्तब्धोऽस्यस्मदुपेक्षया ।
मच्छासनातिगो यस्त्वमचिराद् भ्रश्यसे श्रिय: ।। ८/२०/१५
बलि तू अपने आप को बड़ा पंडित मान रहा है मेरी आज्ञा कि तुमने उपेक्षा की है इसलिए मैं तुझे श्राप देता हूं शीघ्र ही तू अपने ऐश्वर्य से हाथ धो बैठेगा |
दृढं पण्डित मान्यज्ञ: /Dr̥ḍaṁ paṇḍit mānagyah
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