एकदा गृहदासीषु /Ēkadā gr̥ahdāsīṣu
एकदा गृहदासीषु यशोदा नन्दगेहिनी ।
कर्मान्तर नियुक्तासु निर्ममन्थ स्वयं दधि ।। १०/९/१
एक दिन मैया यशोदा घर की अन्य दासियो को दूसरे कामों में लगा स्वयं दही मंथन करने लगी , उसी समय कन्हैया आए मैया की गोद में चढ़ गए मैया ने दधि मंथन बंद कर दिया कन्हैया को दूध पिलाने लगी |
एकदा गृहदासीषु /Ēkadā gr̥ahdāsīṣu
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