गुणेष्वाविशते चेतो /guneshva vishate cheto
गुणेष्वाविशते चेतो गुणाश्चेतांसि च प्रभो |
कथमन्योन्यसत्यागो मुमुक्षोरतितितीर्षोः |
पिताजी जो यह चित्त है विषयों में घुसा रहता है और विषय चित्त में प्रविष्ट हो जाता है, ऐसी स्थिति में जो मुक्ति को प्राप्त करना चाहते हैं वह इन दोनों को एक दूसरे से अलग कैसे कर सकता है ? '
गुणेष्वाविशते चेतो /guneshva vishate cheto
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