कृष्णक्वासि करोषि किं /krashna kvasi karoshi kim
अरे ओ कन्हैया, कहां हो| इतने पर भी जब कन्हैया ने प्रत्युत्तर नहीं दिया तो मैया ने कहा अरे ओ मेरे बाप कन्हैया क्या कर रहा है| कन्हैया ने जैसे ही मैया की आवाज सुनी दही माखन के मटके से हाथ बाहर निकाल लिया, कहा मैंया आपने जो मेरे हाथ में पद्मराग मणि के कंगन पहना रखा है उससे मेरे हाथ जल रहे थे, उन्हीं को ठंडा करने के लिए मैंने अपने हाथ को दधी के मटके में डाल दिए |
कृष्णक्वासि करोषि किं /krashna kvasi karoshi kim
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