शास्त्रेष्वियानेव सुनिश्चितो / shastreshvi yaneva
शास्त्रेष्वियानेव सुनिश्चितो नृणां
क्षेमस्य सध्र्यग्विमृशेषु हेतुः |
असंग आत्मव्यतिरिक्त आत्मनि
दृढा रतिर्ब्रह्मणि निर्गुणे च या ||
राजन शास्त्रों में प्राणियों के कल्याण का सरलतम उपाय यही बताया गया है कि आत्मा से अतिरिक्त जो भी पदार्थ है उनके प्रति बैराग हो जाए और निर्गुण ब्रह्म में दृढ़ अनुराग हो जाए |
शास्त्रेष्वियानेव सुनिश्चितो / shastreshvi yaneva
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