य उद्धरेत्करं राजा / ya udha retkaram praja
य उद्धरेत्करं राजा प्रजा धर्मेष्वशिक्षयन् |
प्रजानां शमलं भुङ्क्ते भगं च स्वं जहाति सः ||
जो राजा प्रजा से कर ( टैक्स ) तो लेता है परंतु उसे धर्म की शिक्षा नहीं देता वह प्रजा के पाप का भागी होता है,,य उद्धरेत्करं राजा / ya udha retkaram praja
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