स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno
स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते स्वं वस्ते स्वं ददाति च |
तस्यैवानुग्रहेणान्नं भुंजते क्षत्रियादयः ||
मुनीश्वरों ब्राह्मण अपना ही खाता है अपना ही पहनता है और अपनी ही वस्तुओं का दान देता है , दूसरे छत्रिय आदि तो उन्ही ब्राह्मण की कृपा से अन्न आदि को प्राप्त करते हैं |
स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno
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