F स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno - bhagwat kathanak
स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno

bhagwat katha sikhe

स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno

स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno

 स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno


स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते स्वं वस्ते स्वं ददाति च |
तस्यैवानुग्रहेणान्नं     भुंजते      क्षत्रियादयः ||

 मुनीश्वरों ब्राह्मण अपना ही खाता है अपना ही पहनता है और अपनी ही वस्तुओं का दान देता है , दूसरे छत्रिय आदि तो उन्ही ब्राह्मण की कृपा से अन्न आदि को प्राप्त करते हैं |


 स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno


 स्वमेव ब्राम्हणो भ्ङ्क्ते / svameva brahmno


    Ads Atas Artikel

    Ads Center 1

    Ads Center 2

    Ads Center 3