विक्रीडितं व्रजवधू /Vikrīḍitaṁ vrajavadhū
विक्रीडितं व्रजवधूरभिरिदं च विष्णोः
श्रद्धान्वितोनुश्रृणुयादथ वर्णयेद यः
भक्तिं परां भगवति प्रतिलभ्य कामं
हद्रोगमाश्वपहिनोत्यचिरेण धीरः
परीक्षित जो भी इस महारास का वर्णन करता है अथवा इस महारास का श्रवण करता है , उसे भगवान की निष्काम भक्ति की प्राप्ति होती है और उसका रोग जो काम बिकार है वह छूट जाता है|
विक्रीडितं व्रजवधू /Vikrīḍitaṁ vrajavadhū
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