यदा दुर्वासस: शापात् /yada durvasasah shapat
यदा दुर्वासस: शापात् सेन्र्दा लोकास्त्रयो नृप।
नि:श्रीकाश्चाभवंस्तत्र नेशुरिज्यादय: क्रिया:।। ८/५/१६
परिक्षित एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान नारायण का दर्शन करके बैकुंठ लोक से आ रहे थे मार्ग में उन्होंने देवराज इंद्र को देखा तो भगवान की प्रसादी माला उन्हें भेंट की |
यदा दुर्वासस: शापात् /yada durvasasah shapat
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