F यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe - bhagwat kathanak
यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe

bhagwat katha sikhe

यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe

यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe

 यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe


यानि रुपाणि जगृहे इन्द्रो हयजिहीर्षया |
तानि पापस्य खण्डानि लिङ्गं खण्डमिहोच्यते ||
घोड़े को चुराने के लिए इंद्र ने जिन जिन रूपों को धारण किया वे सब पाप के  खंड चिन्ह होने के कारण पाखंड कहलाए |

 यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe


 यानि रुपाणि जगृहे /yani rupani jagrihe


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