आयुः कर्म च वित्तं च /aayuh karma cha vittam cha shloka niti

 आयुः कर्म च वित्तं च /aayuh karma cha vittam cha shloka niti

आयुः कर्म च वित्तं च /aayuh karma cha vittam cha shloka niti

आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च।

पंचैतान्यपि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।१८।


अन्वयः- आयुः, कर्म च वित्तं च, विद्या निधनमेव च, एतानि पंच अपि गर्भस्थस्य एव देहिनः सृज्यन्ते ।।१८ ||


व्याख्या - आयुः = जीवनकालः, कर्म = पूर्वजन्मकृतसुकृतदुष्कृत जन्यसुख दुःखादि भोगः, वित्तञ्च = धनञ्च, विद्या च, निधनं = मरणञ्च एतानि पंचापि गर्भस्थस्यैव = जननीगर्भस्थितस्यैव देहिनः = प्राणिनः, सृज्यन्ते = निर्धार्यन्ते ।।१८।।


भाषा- आयु, कर्म, धन, विद्या मृत्यु ये पांचो प्राणी के गर्भ में रहते हुये ही ब्रह्मा के द्वारा निर्धारित किये जाते हैं। १८ ||

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 आयुः कर्म च वित्तं च /aayuh karma cha vittam cha shloka niti

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