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bhagwat katha sikhe

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श्रीराम देशिक प्रशिक्षण केंद्र एक धार्मिक शिक्षा संस्थान है जो भागवत कथा, रामायण कथा, शिव महापुराण कथा, देवी भागवत कथा, कर्मकांड, और मंत्रों सहित विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति /udyoginam purusha shloka niti

उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति /udyoginam purusha shloka niti

 उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति /udyoginam purusha shloka niti

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उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीर्दैवेन देयमिति कापुरुषाः वदन्ति।

दैवं निहत्य कुरु पौरुषामात्मकशक्त्या यत्ने कृते यदि न सिद्धययति कोऽत्रदोषः । ।२०।।


प्रसंग:- उद्योगिन एव प्रंशसापात्राणि न तु भाग्यवादिनः इति वर्णयति-


अन्वयः- लक्ष्मीः उद्योगिनं पुरुषसिंहम् उपैति, कापुरुषाः दैवेन देयम् इति वदन्ति । दैवं निहत्य आत्मशक्त्या पौरुषं कुरु, यत्ने कृते (अपि) यदि न सिद्धययति (तर्हि) अत्र कः दोषः ।।२१।।


व्याख्या- लक्ष्मी: सम्पत्तिः, उद्योगः पुरुषार्थः अस्य इति उद्योगी तम् उद्योगिनं-पुरुषार्थशीलं, पुरुषः सिंह इव इति तं पुरुषसिंह, पुरुषश्रेष्ठस्तम्, उपैति प्राप्नोति, कुत्सिताः पुरुषाः कापुरुषाः -पुरुषार्थहीनाः, 'दैवेन देयमिति' वदन्ति (अतः) दैवं भाग्यं निहत्य त्यक्त्वा, आत्मशक्त्या स्वसामर्थ्येनसिद्धययति कार्य सिद्धिं न नि अर्थात कोऽपि दोषो नेति


पौरुष-पुरुषार्थ करु यत्ने प्रयत्ने कृतेऽपि यदि न सिद्धययति-का गच्छति, चेत तर्हि अत्र कः दोषः= का वा त्रुटिः इति अर्थात कोऽपि दोषो नेति शेषः।।२१।।


 भाषा- उद्योग करनेवाले सिंह के समान पुरुष को लक्ष्मी स्वा करती है। भाग्य ही सब कछ देता है इस प्रकार के वाक्य पुरुषार्थडीन कहा करते हैं। इसलिये भाग्य की उपेक्षा करके अपनी शक्ति भर रहना चाहिये यदि उद्योग करने पर भी सफलता न मिले तो फिर इसमें क्या दोष? अर्थात् कोई नहीं।।।२१।

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