अल्पानामपि वस्तूनां /alpanamapi vastunam shloka niti

 अल्पानामपि वस्तूनां /alpanamapi vastunam shloka niti

अल्पानामपि वस्तूनां /alpanamapi vastunam shloka niti

अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मतदन्तिनः । ।१७।।


प्रसंग:- एकतायाः महत्वं सोदाहरणं निर्दिशति -


अन्वयः- अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका (भवति) गुणत्वम् आपन्नैः तृणैः मतदन्तिनः बध्यन्ते ।।१७।।


व्याख्या- अल्पानाम् अल्पसंख्याकाना, अत्यल्पप्रमाणानामपि वस्तूनां पदार्थनां जनानां वा, संहतिः समुदायः, कार्यसाधिका महत्तरकार्यस्य अपि सम्पादयित्री भवति । यथा गुणत्वं-रज्जुभावम् आपन्नैः प्राप्तैः, तृणैः, मत्तदन्तिनः मदस्त्राविणः करिणः अपि बध्यन्ते नियम्यन्ते, वशीकर्तुम् शक्यन्त इति भावः ।।१७।।


भाषा - निर्बल या छोटी सी वस्तुओं का समुदाय भी बड़े बड़े कार्यों को कर डालता है, जैसे बहुत से तृण जब संघीभूत होकर रस्से के रूप में परिणत हो जाते हैं तब उससे बड़े बड़े मदमस्त हाथी भी बांधे जा सकते हैं।

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