षड्दोषाः पुरुषेणेह /shaddoshah purusheneha shloka niti

 षड्दोषाः पुरुषेणेह /shaddoshah purusheneha shloka niti

षड्दोषाः पुरुषेणेह /shaddoshah purusheneha shloka niti

षड्दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।

निद्रा-तन्द्रा भयं क्रोधं आलस्यं दीर्घसूत्रता।।१६।।


प्रसंग:- कल्याणमिच्छतां त्याज्यदोषान् निर्वक्ति


अन्वयः- इह भूतिम् इच्छता पुरुषेण निद्रा, तन्द्रा भयं, क्रोध: आलस्यं

दीर्घसूत्रता (इति) षडदोषाः हातव्याः । ।१६ ।।


व्याख्या- इह-अस्मिन् संसारे, भूतिम्=सम्पद कल्याणमिति सार इच्छता-अभिलषता, पुरुषेण, निद्रा, तन्द्रा-अर्धनिन्द्रा, भयं क्रोधः, आलस्यं सत्यति सामर्थ्य कर्मण्यनुत्साहः दीर्घसूत्रता-शनैः शनैः कार्यसम्पादनता, एते षट टोला हातव्या त्यक्तव्याः: ।।१६।।


भाषा- इस संसार में अपना कल्याण चाहने वाले पुरुष को निद्रा, ऊंघना भय, क्रोध आलस्य और छोटे से कार्य में बहुत समय लगाना इन छ: दोषों को त्याग देना चाहिये।।१६।

 नीति संग्रह- मित्रलाभ: के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके। -clickNiti Sangrah all Shloka List

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