आपदामापतन्तीनां /apda map tanttinam shloka niti

 आपदामापतन्तीनां /apda map tanttinam shloka niti

आपदामापतन्तीनां /apda map tanttinam shloka niti

आपदामापतन्तीनां हितोऽप्यायाति हेतुताम् ।

मातृजंघा हि वत्सस्य स्तम्भीभवति बन्धने।।१३।।


अन्वयः- हितः अपि आपतन्तीनाम् आपदां हेतुताम् आयाति । हि मातृजंघा वत्सस्य बन्धने स्तम्भीभवति ।।१३।।


व्याख्या-हित: हितकरः अपि जनः, आपन्तीनां आगच्छन्तीनां, आपदां-विपदां, हेतुतां-कारणतां, आयाति, हि-यतः, सत्सस्य नवजातगोशिशोः, बन्धने नियमने मातः स्वजन्नया एव जंघा उरुदेश: स्तम्भीभवति-स्तम्भ इवाचरति। गोदाहनसमये वत्सम्बन्धनार्थम् निकटे स्तम्भान्तरस्याभावात् परमहितैषिण्याः तन्मातुः गोः जंघा परमवत्सलस्यापि वत्सस्य बन्धनायम् दोग्ध्रा स्तम्भीक्रियते तत्र न कस्यचिदोष इति भावः ।।१३।

भाषा-जो विपत्ति अवश्य आनेवाली होती है, उसमें अपने खास हितैषी निमित्त बन जाते हैं जैसे गाय के दुहने के समय बछड़े को बान्धने के लिये उसकी परमहितैषिणी माता की जांघ को ग्वाला खम्भा बना देता है।। १३।।

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