धनवान्बलबाँल्लोके /dhanvan bal bal loke shloka niti

 धनवान्बलबाँल्लोके /dhanvan bal bal loke shloka niti

धनवान्बलबाँल्लोके /dhanvan bal bal loke shloka niti

धनवान्बलबाँल्लोके सर्वः सर्वत्र सर्वदा।

प्रभुत्वं धनमूलं हि राज्ञामम्युपजायते ।।६६।।


प्रसंग:- मलोके धनम्हत्वं निरूपयति-


अन्वयः- लोके सर्वः धनवान् सर्वदा सर्वत्र बलवान् (भवति) हि राज्ञामपि प्रभुत्वं धनमूलम् उपजायते।।६६ ।।


व्याख्या-लोके - पथिव्यां सर्वः = समस्त: धनवान सर्वत्र = सर्वस्मिन प्रदेशे सर्वदा = सर्वस्मिन् काले, बलवान् = बलशाली भवति। हि = यतः राज्ञामपि = नृपतीनाम् अपि प्रभुत्वं = स्वामित्वं, धनमूलम् एव = धानकारणकमेव उपजायते भवति ।।६६ ।।


भाषा- सभी धनी पुरुष इस संसार में सर्वत्र और हर समय बलवान होते हैं इतना ही नहीं, प्रत्युत् राजाओं के भी प्रभु बनने का मूल कारण धन ही होता है।।६६ ।।3

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