द्रवत्वात्सर्वलोहानां /dravyatva sarva lohanam shloka niti

 द्रवत्वात्सर्वलोहानां /dravyatva sarva lohanam shloka niti

द्रवत्वात्सर्वलोहानां /dravyatva sarva lohanam shloka niti

द्रवत्वात्सर्वलोहानां निमितान्मृगपक्षिणाम्

भयाल्लोभाच्च मूर्खाणां संगतिदर्शनात्सताम् ।।३।।


प्रसंग :- विभिन्नसग्ङतिकारणानि निर्दिश्य सत्सग्ङतिमुपदशिति।


अन्वयः- सर्वलोहानां द्रवत्वात्, मृगपक्षिणां निमितात्, मूर्खाणां भयात् लोभात् च सतां दर्शनात् संगतिः (भवति)।।५३।।


व्याख्या- सर्वलोहानां = रजतादिसमस्तधातूनां दत्वा = द्रवीभावात्, मृगाश्च पक्षिणश्च तेषां मृगपक्षिणां = पशु पक्षिणा, निमितात् = भक्ष्यभूतान्नदानादिहेतोः, मूर्खाणां = मूर्खजनानां भयात् = भयंकारणात् लोभात् = प्रलोभात् च = तथा सतां = सज्जानां, दर्शनात् = दर्शनमात्रादेव, संगतिः भवतीति शेषः । ।५३ ।।


भाषा- द्रव पदार्थ होने के कारण रजतादि सब धातुओं का, अन्न आदि के कारण पशुपक्षियों का, भय और लोभ के कारण मूों का और केवल दर्शन मात्र से साधु महात्माओं का परस्पर मेल होता है।।५३।।

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