F को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti - bhagwat kathanak
को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti

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को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti

को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti

 को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti

को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti

को धर्मो? भूतदया, किं गृहिणः प्रियहिताय? दारगुणाः ।

कः स्नेहः? सद्भावः, किं पाण्डित्यं? परिच्छेदः ।।७७।।


प्रसंग:- धर्मादीनां लक्षणानि निर्दिशति-


अन्वयः- धर्मः कः? भूतदया, गृहिणः प्रियहिताय किम्? दारगुणाः कः? सदभाव, पाण्डित्यं किं? परिच्छेदः । ७७।।


व्याख्या-धर्मः कः? भूतदया = प्राणिमात्रं प्रति दयाभावः, गृहिणां = गृहस्थस्य, प्रियहिताय = प्रियाय हिताय च किम्? दारगुणाः = भार्यागणा: स्नेर कः? सद्भावः, किं पाण्डित्यम? परिच्छेदः = सदसद्विवेकः । ७७।।


भाषा- संसार में धर्म क्या है? -प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखना, गहरश के लिए प्रिय और हितकर क्या है? स्त्री के गुण, स्नेह क्या है? सद्भाव रखना और पाण्डित्य क्या है? कर्तव्याकर्तव्य को जानना ।।७७।।

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 को धर्मो भूतदया / ko dharmo bhuta daya shloka niti

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