माता मित्रं पिता चेति/mata mitram pita cheti shloka niti

 माता मित्रं पिता चेति/mata mitram pita cheti shloka niti

माता मित्रं पिता चेति/mata mitram pita cheti shloka niti

माता मित्रं पिता चेति स्वभावात्त्रितयं हितम्।

कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धयः ।।१६।।


प्रसंग :- मित्रं स्वभावादेव हितकर्तृ भवतीति निरूपयति-


अन्वयः-माता मित्रं पिता च इति त्रितयं, स्वभावात् एव हितम् (भवति) अन्ये च कार्यकारणतः हितबुद्धयः भवन्ति ।।१६।।


व्याख्या- माता, पिता, तथा मित्रं चेति = एतत् त्रितयं, स्वभावात् एव हितं = हितकारि भवति, अन्ये = एभ्यः इतरे तु, कार्यकारणतः = कार्यकारणवशात् हितबुद्धयः भवन्ति ।।१६।।


भाषा-माता, पिता, और मित्र ये तीनों स्वभाव से ही हितकारी होते हैं। इनस अतिरिक्त लोग तो अपने-अपने कार्यवश ही हितचिन्तक हुआ करते हैं ।।१६।

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 माता मित्रं पिता चेति/mata mitram pita cheti shloka niti

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