पटुत्वं सत्यवादित्वं /patutvam satya vaditvam shloka niti

 पटुत्वं सत्यवादित्वं /patutvam satya vaditvam shloka niti

पटुत्वं सत्यवादित्वं /patutvam satya vaditvam shloka niti

पटुत्वं सत्यवादित्वं कथायोगेन बुध्यते।

अस्तब्धत्वमचापल्यं प्रत्यक्षेणावगम्यते।।५७।।


प्रसंग:- मित्रगुणप्रत्यक्षप्रकारं निर्दिशति-


अन्वयः- पटुत्वं, सत्यवादित्वं कथायोगेन बुध्यते, अस्तब्धत्वम् अचापल्यं प्रत्यक्षेण अवगम्यते।।५७।।


व्याख्या- पटुत्वं = चातुर्य, सत्यवादित्वं = सत्यवादिता, कथायोगेन = कथाप्रसंगेन, बुध्यते = अवगम्यते, अस्तब्धत्वं = अजाड्यं, अचापल्यम, = अचांचल्यं, प्रत्यक्षेण = दर्शनेनैव अवगम्यते = बुध्यते । ५७।।


भाषा - मनुष्य की चतुरता और सत्यावादिता बातचीत के प्रसंग से मालूम पड़ जाती है और उसकी काम करने की लगन तथा गम्भीरता उसे प्रत्यक्ष देखने से ही मालूम पड़ती है। ।५७।।

नीति संग्रह- मित्रलाभ: के सभी श्लोकों की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके। -clickNiti Sangrah all Shloka List

 पटुत्वं सत्यवादित्वं /patutvam satya vaditvam shloka niti

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