रूपयौवनसम्पन्ना /rupa yauvan sampanna shloka niti

 रूपयौवनसम्पन्ना /rupa yauvan sampanna shloka niti

रूपयौवनसम्पन्ना /rupa yauvan sampanna shloka niti

रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसंभवाः।

विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः ।।२६।।


प्रसंग:- विद्यैव शोभाधायिका न तु रूपादिकमिति वर्णयति-


अन्वयः- रूपयौवनसम्पन्नाः विशालकुलसंभवाः (अपि) विद्याहीनाः (पुरुषाः) निर्गन्धाः किंशुका इव न शोभन्ते।।२६।।


व्याख्या- रूपं = सौन्दर्य, यौवनं = तारुण्यं ताभ्यां सम्पन्नाः, विशालं श्रेष्ठं यत कलं तस्मिन सम्भवाः = समुत्पन्नाः अपि विद्याहीनाः = विटा पुरुषाः, निर्गन्धाः = गन्धरहिताः किंशुकाः = पलाशपुष्पाणीव न शोभन्ते ।।


भाषा- सुंदरता एवं यवावस्था से युक्त तथा अच्छे कुल में जन्म होने पर भी विद्याहीन पुरुष गन्धरहित पलाश के फूल के सामान शोभा नहीं देते।

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